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Showing posts from August, 2021

स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ प्रमुख नारे

  स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ प्रमुख नारे  "जय हिन्द "     --     सुभाषचंद्र बोस "दिल्ली चलो "     --     सुभाषचंद्र बोस "तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूँगा"     --     सुभाषचंद्र बॉस  "इन्कलाब जिन्दाबाद "     --     भगत सिंह   "करो या मारो "     --     महात्मा गाँधी  "हिंदी, हिन्दू, हिन्दोस्तान"     --     भारतेन्दु हरिश्चंद्र  "पूर्ण स्वराज्य "     --     जवाहरलाल नेहरू   "आराम हराम है"     --     जवाहरलाल नेहरू  "भारत छोडो"     --     महात्मा गाँधी  "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा"     --     श्यामलाल गुप्ता "पार्षद" "वन्दे मातरम"     --     बंकिमचंद्र चटर्जी  "स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है"     --     बाल गंगाधर तिलक  "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है"     --     राम प्रसाद बिस्मिल  "सारे जहाँ से  अच्छा हिन्दोस्तॉं हमारा"     --     इकबाल  "साईमन कमीशन वापस जाओ"     --     लाला लाजपत रॉय 

Tiranga (तिरंगा)

  तिरंगा तिरंगे की अभिकल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी।  इसको 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा में अंगीकार किया गया।  इसकी लम्बाई : चौड़ाई का अनुपात 3 : 2 होता है।  तिरंगे में तीन रंग की क्षैतिज (horizontal) पट्टियां होती है।  सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी, सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी और मध्य में सफ़ेद रंग की पट्टी होती है।  सफ़ेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र होता है, जिसमे 24 तीलियाँ होती है।  भारतीय मानक ब्यूरों (बी० आई० एस०) ने पहली बार 1951 में राष्ट्रध्वज के लिए नियम बनाये। 1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किये।  तिरंगे निर्माण में केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने उपयोग किया जाता है।  खादी निर्माण में केवल कपास, रेशम और ऊन का ही उपयोग किया जाता है।  धारवन के पास गदग और कर्नाटक के बागलकोट में ही खादी की बुनाई की जाती है।  हुबली में एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहाँ झंडा का निर्माण किया जाता है।  भारतीय मानक ब्यूरों (बी० आई० एस०) द्वारा झंडे निर्माण के विभिन्न चरणों पर जाँच की जाती है और अंतिम रूप से झंडे की जाँच के बाद ही इसको फहराया जाता है।

Vande Matram (वन्दे मातरम )

वन्दे  मातरम्   सुजलाम् सुफ़लाम् मलयजशीतलाम्  शस्य  श्यामलां  मातरम्    शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्  फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम् , सुहासिनी सुमधुर भाषिणीं  सुखदां वरदां मातरम् 11 वन्दे मातरम् 11 वन्दे मातरम् एक संस्कृत कविता है। इसको बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा सन 1870 में लिखा गया था।  सन 1882 में वन्दे मातरम कविता को बंगाली उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया।  इस कविता को सबसे पहले गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1896 के अधिवेशन में गाया गया।   सन  1937 में कांग्रेस की वर्किंग कमिटी द्वारा इसे राष्ट्र गीत  के रूप में स्वीकार किया गया।  24 जनवरी 1950 को भारत की संविधान सभा द्वारा इसे राष्ट्र गीत के रूप में अंगीकार किया गया।